रविवार

कौन कहता है की हमारी मातृभाषा हिंदी है - 2

कौन कहता है की हमारी मातृभाषा हिंदी है , पहले पढ़  कर शायद सभी को यह अट पटा लगेगा . लग्न भी चाहिए. क्यूँ आप सोच रहे होंगे की मै आप सबको क्या बता रहा हूँ आप सबको क्या समझा रहा हूँ...या फिर मै आपको क्या समझाने की कोशिस कर रहा हूँ....जिसका की कोई अंत ही नहीं है....
 आप ही बताओ....की आपके ही घर में आपका अगर इजजजत नहीं   हो तो आप क्या करेंगे . सोचिये हमारे देश में जितने भी राज्य है सभी की अपने अपनी क्षेत्रीय भाषा है. ये अच्छी बात है की अपना आलग पहचान बनी है ...अआपने भाषा को लेकर ....लेकिन जो एक देश  को एक कर करने की कोशिश करती है..वो है - हिंदी . लेकिन क्या हिंदी को आप मन से मातृभाषा मानते है...शायद नहीं....आप अपने दिलपर हाथ रख कर सोचिये...क्या कभी आपके मन में ये ख्याल आया है की हम अपने बच्चे को अपने मातृभाषा के बारे में उससे बताये... कुछ एक राज्य को छोर कर ऐसा कही नहीं होता है...कुछ असी सहर में तो ऐसे भी परिवार मिल जायेंगे जो अपने बच्चे को हिंदी से ऐसे अलग कर रखते है जैसे हिंदी एक ऐसा कीड़ा है जो अगर कट लिया तो ये कभी ठीक नहीं हो पायेगा....सुबह से शाम तक उसे अंग्रेजी वाली गोली और टोनिक पिलाया करते है...अरे भी जो अपने समाज अपने परिवार अपने देश ला नहीं हुआ तो किसी का नहीं होगा ....इंग्लिश यानि अंग्रेजी भले ही हमरी जरुरत की भाषा बन जाए ये कभी भी दिल यानि समाज और हमारे  देश की भाषा नहीं बन सकता है....हमारी संस्कृति  में समा नहीं सकता है.... दोस्तों सभी परिवार , समाज और देश की एक अपनी पहचान होती है...ऐसा अगर  आप  मानते हो तो आप अपने भाषा की मानसम्मान से कभी भी समझौता नहीं करोगे...  हमारे देश में जो कुछ भी हो रहा है...वो सही नहीं हो रहा है... अगर किसी भी परिवार ,, समाज और देश को अगर बर्बाद करना है तो उसके युवा पीढ़ी  को अपने रस्ते से भटका दो...वो  समाज और वो देश स्वयं भटक जायेगा और एक दिन बर्बादी के कगार पर पहुच जाएगा.....
आप इतिहास को देखो...किसी भी देश का भविष्य युवा पीढ़ी  पर निर्भर करता है...तो हम भी अपने युवा से ये आगढ़ करना चाहते है....कि दोस्तों ....आओ आगे बढे और एक नया दिशा एक नया आयाम एक नया राष्ट बना कर अपने परिवार , समाज और एक शाशाक्त देश का निर्माण करे. उसके लिए हमें अपने देश कि  मातृभाषा  को सम्मान  का  ख्याल  रखना  पड़ेगा . ऐसा नहीं  है  कि   हमारे देश में हर एक राज्य का अपना भाषा है अगर हम अपने मातृभाषा का ऐसे ही अपमान करेंगे तो दूसरे देश वाले हमारे देश  कि भाषा का क्या  मान  करेंगे  .
हमारे देश में जो शिक्षा  का परचालन था और आज क्या है ये आप लोगन से छुपा ही नहीं है...पूरी तरह से हमारे देश कि भाषा के साह मजाक बना कर रख दिया हिया....शायद आप को ये लग रहा है कि ...मै किसी तरह का इंसान हूँ जी अपने देश कि परगति से जलता हूँ ,,, नहीं मेरे देश दोस्त मै ये सोच रहा हूँ कि इस प्रगति में कही हम अपने को ही खो दूँ जो कभी हमारे ये स्तम्भ थे.... अपने जीन को ना खो दू... मै अपने जमीन का समझौता कर आगे नहीं बढ़  सकता हूँ....मुझे प्रगति उतनी हिपयारी है जीतीं हमरी संस्कृत अरु सभ्यता ....हम दूसरे देश को भी तो देख सकते है...जो अपने संस्कृत अरु सभ्त्य के बेच कर प्रगति को नहीं अपना रहा है....हमें इसका भी क्याल करना पड़ेगा और करना चाहिए.....

गुरुवार

कौन कहता है की हमारी मातृभाषा हिंदी है ?

कौन कहता है की हमारी मातृभाषा हिंदी है ?--- दोस्तों मैंने इस पर लिखने से बहुत बिचार किया सोचा समझा तब जाकर इस विषय पर लिखना श्रुरू किया है. शायद आपको यह जानकार , देखकर या सुनकर बहुत दुःख होगा की अपने देश हिंदुस्तान यानि की भारत वर्ष में अपने ही भाषा कई जितना अपमान हो रहा है शायद ही किसी देश में ऐसा होता होगा. हर कोई देश अपने मातृभाषा से बेहद प्रेम करता है. आप किसी भाषा को देख ले उन देशो को देखें उनका इतिहास आप देख सकते है. मैं ये नहीं कहता हूँ की आप दूसरी भाषा नहीं जाने सीखे या बोले. मै तो इतना कहता चाहता हूँ. की आप अगर अपने ही घर में अपने मातृभाषा को जगह नहीं देंगे प्रेम नहीं देंगे तो दूसरे देश वाले क्या देंगे. आप ही बताइये ऐसा कभी हो सकता है क्या ? नहीं ना . बस अब आप को हमलोगों को ये सोचना है . की अपने देश में किसको जगह देना है.
 आप को मै कुछ तस्वीर दिखाना चाहता हूँ..इस से आप को कुछ याद आ जाये . हमारे देश में हिंदी को कितना महत्वपूर्ण है.

ऐसे ऐसे होर्डिंग्स आपको सभी शहर में मिलेंगे . ऐसा नहीं है की आपको सिर्फ मेट्रो शहर में हि मिलेंगे.  अपने देश के छोटे और बड़े शहर सभी जगह इंग्लिश यानि अंग्रेजी का प्रचलन है. आपको ये नहीं लगता है की धीरे धीरे हम अपने हिंदी भाषा को सिर्फ बोलने में ही इस्तेमाल करते है. यहाँ के लगभग लोग सिर्फ बोलते तो हिंदी है...लिखते है. अंग्रेजी है...
वाह रे वाह क्या बात है ...बोलना है की हिंदी हमारी मातृभाषा हिंदी है. लेकिन करना हिंदी है. 
 अगर हम कुछ एक सरकारी कंपनी की विज्ञापन और कामकाज को छोड़ दे तो आपको हिंदी का विज्ञापन और काम काज नहीं मिलेगा . यहाँ तक की सरकारी कंपनी भी बोलती है की हम हिंदी में काम करते है...आप भी कर सकते है. जब आप उससे हिंदी में काम करने के लिए कहेंगे तो तो कन्नी काट लेते है. आज ऐसा हो गया है की बोलना कुछ है करना कुछ है .
 मैं नहीं कहता हूँ की आप हिंदी के अलावे कोई भाषा का इस्तेमाल ना करे . क्षेत्रीय भाषा भी हमारे देश की भाषा है . पर हमें हिंदी का भी तो सोचना है ....ऐसा ना हो की संस्कृत की जगह हिंदी भी गायब हो जाए. जैसा आज संस्कृत का हुआ है....हर कोई जानता है. आज का बच्चा भी मुह बना लेता है...अरे अरे अरे हिंदी.................. arrrrrreeeeeeeeeeee संस्कृत नहीं मुझे नहीं आता है........
  तो दोस्तों हमें ऐसे होने से बचाना है...क्षेत्रीय भाषा के साथ हमें हिंदी का भी सम्मान देना है.....कोई भी देश का एक अपना मातृभाषा होता है..वो उसकी पहचान होता है...अगर आपके पास कोई पहचान ही नहीं है तो आप क्या है. ऐसे तो कोई जानवर भी रह लेता है...अआप अंग्रेजी को अपना सकते है..पर हिंदी को नहीं......जरा सोचिये.....
हमारे ही देश में हिंदी का अपमान एक बार नहीं सौ बार हुआ है और शायद आपके आसपास और आपके सामने हुआ होगा लेकिन आप चुप चाप सुनते रहे ....कैसा महसूस होता है ...जब कोई आपको सामने से अपमान करे.......कभी सोचा है आपने ...तो सोचिये........खुमार बहुत है मेरे सिने में लेकिन उसका क्या फायदा ...जब आग भुज जाए ...
आगे हम फिर मिलते है......लेकिन सोचियेगा जरुर......