बुधवार

 आज मै क्या हर हिन्दुस्तानी स्वंत्रता दिवस कि सालगिरह मना रहा है. मै भी शामिल हूँ. लेकिन सही मायने में आजाद या स्वंत्र हूँ. क्या हमें बात रखने या बोलने का हक है. हमें भी अपने देश में , समाज में कुछ करने या कुछ बोलने का हक है.

संबिधान में जो भी कुछ लिखा है. हर कोई जानता है ये कौन बता सकता है ? मै कहता हूँ कि हम सबको अपने मूलभूत अधिकार या कर्तव्य का ज्ञान है ? हमें कौन से अधिकार मिले हैं. ये हम सबमे से कितने लोग है जितना इनको पता है . कभी हमें इसका ज्ञान होगा ? या हमें कौन जानकारी देगा.?

कोई नहीं है, न तो इसको सरकार बता सकता है , न सरकार का कोई नुमाइंदा . न ही कोई नेता जिसे हमें चुन कर अपने देश और समाज के विकास के विधान सभा और संसद भेजते हैं.

हमारे देश को आजादी मिले कितने साल हो गए. लेकिन हम उस समय से भी बहुत जयादा पिछड़ गए है. जिस तेजी से और सभी चीजों का विकास हुआ उतना हमारे देश के नागरिको और जनता का विकास नहीं हुआ. जनता या नागरिक से मतलब उन लोगों से नहीं जो हमारे जतना के 80 प्रतिशत लोगों से ताल्लुकात नहीं रखते है. वो तो आजादी से पहले से बहुत अमीर थे , अब तो उनके बारे में सोचना भी पाप है गुनाह है.

आज तो हम सब ऐसे जीते है कि पता नहीं कल दिन कैसा होगा ? क्या होगा ? कोई ऐसा है जो यह नहीं सोचता है . शायद नहीं. आज हमारे देश में इतना भय का माहोल है. जितना कि कितना सोचा भी नहीं होगा .

हमारे देश में 70 प्रतिशत लोग , दिन भर काम करते है वो उन्हें रात का खाना मिलता है . ऐसे में अगर वो किसी जुलुस या आन्दोलन के जाते है तो उनका क्या हालत होगा वो उनसे जयादा कोई नहीं बता सकता है.

हमारे देश में सबसे बड़ी समस्या है .शिक्षा . अभी भी, जब कि हमारे देश को आजादी हुए 60 साल से जयादा हो गए. लेकिन शिक्षा कि क्या स्थिति है. वो हम सब से छुपा नहीं है. शिखा का व्यवसायीकरण तो हुआ ही है. उसके साथ साथ हमारे देश कि गुरु शिष्य परम्परा और शिक्षा पद्धिति का पतन हो गया है. न कोई संस्कार है न कोई संस्कृति .

हम बदलेंगे , युग बदलेगा. बचपन से हम लोग ये सुनते आ रहे है. लेकिन क्या हम सब इस को अपने पर अमल करते हैं. नहीं . ये सिर्फ बोलने के लिए बना है. अगर ये बात जो हमें पता है , सारे रोगों का इलाज यही है. फिर उस दवा को कोई खाना नहीं चाहता , आखिर क्यूँ.

क्या उनसे दुखों से सब लोग खुश है? लगता तो यह है. अगर ऐसा नहीं होता तो हम सब इस "हम बदलेंगे , युग बदलेगा " को अपना कर अपने देश को खुशहाल बना सकते थे.

लेकिन हम ऐसा करेंगे नहीं. क्यूँ हमें मरने और मारने में मजा आता है. और मजा को कौन भूलना चाहता है. मजा चाहे दर्द से हो या खुशी से .