गुरुवार

कौन कहता है की हमारी मातृभाषा हिंदी है ?

कौन कहता है की हमारी मातृभाषा हिंदी है ?--- दोस्तों मैंने इस पर लिखने से बहुत बिचार किया सोचा समझा तब जाकर इस विषय पर लिखना श्रुरू किया है. शायद आपको यह जानकार , देखकर या सुनकर बहुत दुःख होगा की अपने देश हिंदुस्तान यानि की भारत वर्ष में अपने ही भाषा कई जितना अपमान हो रहा है शायद ही किसी देश में ऐसा होता होगा. हर कोई देश अपने मातृभाषा से बेहद प्रेम करता है. आप किसी भाषा को देख ले उन देशो को देखें उनका इतिहास आप देख सकते है. मैं ये नहीं कहता हूँ की आप दूसरी भाषा नहीं जाने सीखे या बोले. मै तो इतना कहता चाहता हूँ. की आप अगर अपने ही घर में अपने मातृभाषा को जगह नहीं देंगे प्रेम नहीं देंगे तो दूसरे देश वाले क्या देंगे. आप ही बताइये ऐसा कभी हो सकता है क्या ? नहीं ना . बस अब आप को हमलोगों को ये सोचना है . की अपने देश में किसको जगह देना है.
 आप को मै कुछ तस्वीर दिखाना चाहता हूँ..इस से आप को कुछ याद आ जाये . हमारे देश में हिंदी को कितना महत्वपूर्ण है.

ऐसे ऐसे होर्डिंग्स आपको सभी शहर में मिलेंगे . ऐसा नहीं है की आपको सिर्फ मेट्रो शहर में हि मिलेंगे.  अपने देश के छोटे और बड़े शहर सभी जगह इंग्लिश यानि अंग्रेजी का प्रचलन है. आपको ये नहीं लगता है की धीरे धीरे हम अपने हिंदी भाषा को सिर्फ बोलने में ही इस्तेमाल करते है. यहाँ के लगभग लोग सिर्फ बोलते तो हिंदी है...लिखते है. अंग्रेजी है...
वाह रे वाह क्या बात है ...बोलना है की हिंदी हमारी मातृभाषा हिंदी है. लेकिन करना हिंदी है. 
 अगर हम कुछ एक सरकारी कंपनी की विज्ञापन और कामकाज को छोड़ दे तो आपको हिंदी का विज्ञापन और काम काज नहीं मिलेगा . यहाँ तक की सरकारी कंपनी भी बोलती है की हम हिंदी में काम करते है...आप भी कर सकते है. जब आप उससे हिंदी में काम करने के लिए कहेंगे तो तो कन्नी काट लेते है. आज ऐसा हो गया है की बोलना कुछ है करना कुछ है .
 मैं नहीं कहता हूँ की आप हिंदी के अलावे कोई भाषा का इस्तेमाल ना करे . क्षेत्रीय भाषा भी हमारे देश की भाषा है . पर हमें हिंदी का भी तो सोचना है ....ऐसा ना हो की संस्कृत की जगह हिंदी भी गायब हो जाए. जैसा आज संस्कृत का हुआ है....हर कोई जानता है. आज का बच्चा भी मुह बना लेता है...अरे अरे अरे हिंदी.................. arrrrrreeeeeeeeeeee संस्कृत नहीं मुझे नहीं आता है........
  तो दोस्तों हमें ऐसे होने से बचाना है...क्षेत्रीय भाषा के साथ हमें हिंदी का भी सम्मान देना है.....कोई भी देश का एक अपना मातृभाषा होता है..वो उसकी पहचान होता है...अगर आपके पास कोई पहचान ही नहीं है तो आप क्या है. ऐसे तो कोई जानवर भी रह लेता है...अआप अंग्रेजी को अपना सकते है..पर हिंदी को नहीं......जरा सोचिये.....
हमारे ही देश में हिंदी का अपमान एक बार नहीं सौ बार हुआ है और शायद आपके आसपास और आपके सामने हुआ होगा लेकिन आप चुप चाप सुनते रहे ....कैसा महसूस होता है ...जब कोई आपको सामने से अपमान करे.......कभी सोचा है आपने ...तो सोचिये........खुमार बहुत है मेरे सिने में लेकिन उसका क्या फायदा ...जब आग भुज जाए ...
आगे हम फिर मिलते है......लेकिन सोचियेगा जरुर......

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