आज कल जो हवा बह रही है उससे कोई अछूता
नहीं है, क्यूँ हवा ही ऐसे ही नहीं है. वो देश
प्रेम , देश भक्ति और स्वदेश प्रेम ,
ऐसे में कोई कहा तक भाग कर जा सकता है. हर एक के
दिल में देश का प्रेम कही न कही छुपा रहता है. ऐसे में कोई उसके जगाने कि कोशीश
करे, इंसान न चाहते हुए भी, थोड़े समय के लिए ही, जाग ही जाता
है. मेरे विचार से स्वदेशी होना चाहिए. लेकिन उसे देश प्रेम और देश भक्ति से जोड़
कर नहीं बल्कि इससे से अलग सोच देना चाहिए. !
हमारे देश में आजकल स्वदेशी बनाम विदेशी
का खेल चल रहा है. कुछ तो लोग इसको देश भक्ति के साथ गन्दा खेल कर स्वदेशी सामान
का बाजार तैयार कर रहे हैं. ऐसे एक लोग नहीं है, बल्कि
एक पूरा समाज है जो आम इंसान से कोई ताल्लुक नहीं रखता है बल्कि उसको भावनात्मक
अत्याचार और कुछ कह सकते है. आम इंसान को
देश का पाठ पढ़ा कर उल्लू या मुर्ख बनाते है और अपना सामान बेचते हैं. हम सभी देशवाशियों को यह बताना चाहूँगा कि अगर कोई भी इंसान इस तरह से
देशभक्ति दिखाना चाहता है तो उसमे अंधविश्वाश नहीं किया जा सकता है.
हमारे देश बहुत सारी कम्पनी है जो अपने
देश कि है. लेकिन देशप्रेम और देशभक्ति दिखा कर ऐसा कोई काम नहीं करती कि आम जनता
इससे और भी जुड़े. आप इसको गलत रूप न लेकर अपने देश कि अर्थववस्था से जोड़ना
चाहिए. हमारे यहाँ गोदरेज , विक्को , निरमा आदि आदि बहुत सी कंपनी है. ऐसे में आप खुद सोचिये और विचार
कीजिये. हम और हमारे दोस्त के कुछ निजि विचार है जो कि मै यहाँ पर लिख रहा हूँ.
मेरे साथ कुछ दोस्त भी बैठे थे , तभी एक बहस छिड़ गयी , दिव्य
फार्मेसी बनाम दूसरी कंपनी.
लेकिन मुझे एक बहुत बड़ा संदेह है कि,
रामदेव जी हमेशा देश , समाज
और देशभक्ति कि बात करते हैं. क्यूँ और कैसे , जो
मै समझता हूँ या समझ पा रहा हूँ. हमारे देश में ९० पतिशत लोग बहुत ही गरीब है.
उनमे से कुछ लोग को मैं गरीबों में अच्छा मान सकता हूँ. अगर देश भक्ति कि बात
करेंगे तो सबसे पहले उन ९० प्रतिशत लोगों तक मुलभुत चीजों को पहुचाएं तभी जाकर देश
और देशभक्ति समझ में आएगा. चलिए मैं जो कुछ कहना चाह रहा हूँ उनको समझाते हैं,
इन सबको लिखने से पहले मैं अपने दोस्तों से भी
बात कि थी लेकिन वो सब के सब मुझे कुछ और ही समझा दिए. अब मै यही बातें आप सबके सामने
कहना चाहता हूँ. और आप खुद सोचे कि मै गलत हूँ या सही.
रामदेव जी देशभक्ति कि बात करते हैं ,
वो जहा भी जाते हैं अपना योग और देशभक्ति दोनों
उनके साथ चलता है. ऐसे करने और बताने के लिए बहुत कुछ है लेकिन आज हम सिर्फ उनके
द्वारा निर्मित उत्पादों के बारे में बात करेंगे .क्यूँ आम आदमी कि पहुँच कहा तक
है .
जो उत्पाद वो बना रहे हैं , कई और भी कंपनी है जो बना रही है, ऐसा
नहीं ही कि सिर्फ उनके यहाँ ही बनती है . रामदेव जी अपने कंपनी दिव्य फार्मेसी का उत्पाद का
ना तो कभी विज्ञापन देते हैं और ना कोई उनका मार्केटिंग होता है. उनका सामान
फैक्ट्री से डीलर के यहाँ जाता है और डीलर से सीधे रिटेलर यानि कि दुकानदार के
यहाँ पहुच जाता हैं .
सबसे पहले जो सामान बाजार में आना होता है,
आने से पहले ही उसका विज्ञापन शुरू हो जाता है ,
उसके बात उसकी मार्केटिंग . तभी कही जाकर उसके
डीलर के यहाँ आता है. फिर आपके दुकानदार के पास पहुचता है.
अब एक उत्पाद के लिए रामदेव जी और दूसरी
कंपनी का कितना लागत होगा आप खुद सोच सकते हैं. मैंने कुछ लोगों यानि मार्केटिंग
वालों से पूछा तो उन्होंने एक उदाहरण दिया. जो इस प्रकार हैं.
अगर कोई सामन आपके यहाँ १०० रुपए में
मिलता है तो ये आप जानिये कि उसकी कंपनी कि लागत सभी टैक्स को देकर ३० रुपये हैं.
१०० रुपये में १० -१५ प्रतिशत तो आपका
रिटेलर यानि का दूकानदार का होगा , ३- ५ प्रतिशत
आपके डीलर / व्होलेसेलर का होगा , बाकी जो बचा
वो आप समझ लो मार्केटिंग और विज्ञापन का
खर्चा हैं.
मै तो ये सोच कर घबरा गया कि इतना सारा
खर्चा सिर्फ विज्ञापन और मार्केटिग पर. वाह क्या बात है.
लेकिन जब मैंने रामदेव जी दिव्य फार्मेसी उत्पादों के
बारे में सोचा तो और भी आश्चर्य हुआ कि उनके उत्पादों का मूल्य फिर इतना क्यूँ.
जबकि उनका तो नहीं कोई मार्किंटेग का खर्चा है, नहीं
विज्ञापन का , ऐसे में सारा पैसा कंपनी कोई जाता होगा .
आम आदमी तो ऐसे ही पिस रहा है और आगे भी ऐसे ही पिस्ता रहेगा. चाहे कितने रामदेव जी आये और जाए.
इसी बहस के दौरान मेरा और दोस्त और
गया , उसने कहा ऐसा है कि अगर हम देश और
देशभक्ति कि बात करते हैं तो हमें अपने देशवाशियों के वारे में भी सोचना चाहिए. एक
गीता प्रेस भी ही , आज भी उनकी किताबों
का कीमत आम आदमी के पहुच हैं. एक रामदेव जी कि किताबों के देखों , पत्रिका देखों, आसमान से बाते कर
रहा है. अब हम लोगों का बहस जयादा ही गरम हो रहा था. अगर ऐसे में हम लोग ऐसे
ही बहस करते रहते तो शायद माहोल कुछ और हो जाता .
मै भी सोचता हूँ. सभी कि अपनी अपनी राय और
विचार है , हम क्या सोचते है , आप कया सोचते है. सभी का एक सामान विचार नहीं हो सकता है . अगर हम सभी
लोग का विचार एक सा होता है , आज हमारे देश कि जो
दुर्दशा है शायद कभी न होती . लेकिन क्या करे यही सोच कर रुक जाते है , ठहर जाते . और यही पर हमारा विकास थम जाता है, लूटने वाले किसी न किस परकार से हमें लूट कर चला जाता है . चाहे वो
भावनात्मक हो या कुछ और. गलत तो आखिर गलत ही होता है . ऐसे में किसी एक को देश
देना सही नहीं . इसमें हम सब जिम्मेदार हैं. रामदेव जी हो या कोई और सबको अपना
व्यापार करना है बढ़ाना है .
यहाँ पर मै किसी विशेष पर आपेक्ष
नहीं लगा रहा हूँ, ये तो हम सबका सोच है . मतलब हमारे निजी सोच है. इससे किसी पार्टी या
सम्प्रदाय , समाज
से लेना देना नहीं है. अगर ऐसे में किसी को कुछ दुःख पंहुचा तो मै माफ़ी
मांगता हूँ. यहाँ पर मैंने रामदेव जी के नाम उनकी कंपनी दिव्य
फार्मेसी के लिए प्रयोग किया है.
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