मंगलवार

देश का भविष्य : दशा या दुर्दशा

किसी भी देश का भविष्य हमारे बच्चों पर निर्भर करता है. लेकिन हमारे देश में बच्चों के प्रति जो नजरिया है या हम लोग देख रहे है. क्या आपको लगता है कि आगे जाकर यही बच्चे हमारे देश का कर्णधार होंगे. कभी नहीं. क्यूँ ९० पर्तिशत तो कुपोषण का शिकार हैं. कुछ बच्चे तो जो चाहते है वो मिल जाता है  लेकिन हमारे देश में देश में ऐसे भी बच्चे है जिनको दो वक्त का खाना भी नहीं मिल पटा है . शिक्षा कहा से लेंगे .
अभी हमारे समाज को बहुत कुछ बदलना पड़ेगा . अपनी सोच का दायरा बढ़ाना पड़ेगा . उंच नीच को मिटाना पड़ेगा . विचारों कि संकीर्णता को हटाना पड़ेगा तभी इन बच्चो का भविष्य कुछ हो पायेगा.
ऐसे में अगर कुछ संस्थाए नहीं हो तो क्या होगा इश्वर ही नहीं जान पाएंगे. अगर जो कुछ इस के लिए कुछ हो रहा है कुछ बिना लाभ वाली संस्थाए कर रही है . ऐसे  हम सबको एक जुट कर इनके ऐसे संस्थाए को मदद करनी चाहिए. जिससे इन बच्चे के साथ हमारे देश का भला हो सके.
अक्सर हमारे देश में इन गरीब बच्चो के लिए पैसा अआते है लेकिन इनके पास कितना और क्या पहुचते है. शायद कोई नहीं जानता है. आज हमारे देश के हर राज्य में कितने ही बिना प्रोफिट वाली संस्थाए काम कर रही है . ऐसे में हमें आगे आकार इनका स्वागत और मदद कर कुछ हौसला बाधा सकते हैं जिनसे ये आगे काम कर सके .

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