गुरुवार

प्रकार के लोग ....


हमारे समाज में प्रकार - प्रकार के लोग है. हर कोई अपने को सबसे अच्छा और अपने को सबसे बड़ा ईमानदार कहता है. यहाँ कोई किसी से छोटा नहीं है. हर कोई महान आत्मा है . भगवान् और ईश्वर भी इन इंसान के आगे छोटे हैं. जो ये इंसान सोच सकते हैं. कर सकते हैं अपने आप को बदल सकते है  वऐसा तो भगवान् भी नहीं कर सकते हैं.
आज आप जहाँ पर नजर डालेंगे वहाँ देखेंगे हर कोई एक दुसरे को चोर और अपने को सिपाही कह रहा है. जब हमें कोई जिम्मेदारी मिलती है. तब हमें अपने आप को दिखने का मौका मिलता है. तब ही हमारी औकात मालूम चलती है की हम कितने पानी में हाँ.
सिर्फ बोलने से काम हो जाता तो शायद में आज मैं भगवान् से भी ऊपर जाकर बैठ जाता ...ऐसा हर इंसान सोचता हैं. लेकिन उसके करने के लिए बहुत कुछ खोना नहीं बलिक करना पड़ता है. बिना किये कुछ हासिल नहीं होता है. बने बनाये घर में तो हर कोई आराम से रह लेता है लेकिन जब खुद उसकी मरमम्त की जरूत पड़ती है तब मालूम चलता है की कितना मेहनत है घर को बनाने में .
एक इंसान एक परिवार को ठीक ढंग से चला नहीं पता है उसके चलाने के लिए क्या क्या नहीं करने पड़ते हाँ क्या क्या ख्याल आते हैन . कभी आप सोचियेगा हम अपने परिवार को कैसे चलाएंगे . पिता जी माता जी , बहन और भाई , इन सब के अलावा पत्नी और बच्चे , इन सब को संभालना और खुश रखना कितना बड़ा काम है , आप उनसे ही पूछिये जो चला रहा हैं. जब तक पिता जी चला रहेंगे तब तक तो आप हमेशा उनके खिलाफ होंगे . ये नहीं होता है वो नहीं होता हिया . बेकार हैं , इनसे कुछ नहीं होगा , मेरे ऊपर छोड़ दीजिये .मैं कर के दिखा दूंगा . बात सुनते - सुनते एक दिन आपके पिता जी ने कह दिया बेटा अब तू संभाल ले. फिर देखिये .....कितना मजा आयेगा.
जब तक आप अपने पिता जी के साथ - साथ इन सब में अपनइ भागीदारी नही देंगे ...इसे चला पाना बहुत कठिन है ...बहुत म्हणत करनी पड़ेगी. लेकिन कैसे ....आपके पास पेशेंस होना चाहिए. नहीं तो आप इसको बीच रस्ते में छोड़ देंगे. क्यूँ की आप ये आप से नहीं हो पायेगा. जा ताने आपने अपने पिता जी को दिए थे वो आपको भी मिलेगे. और छोड़ेने से कुछ नहीं होने वाला. कब तक भंगेगे ......सोचिये.
आरोप लगाना बहुत आसान हैं, कभी अपने ऊपर लगे तो सोचियेगा .......जब अपने घर में कोई काम के लिए रखन होता है तो देखे हेई की जो लड़का है काम करने वाला है या बहाने वाला.....

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