गुरुवार

तुम बोलो तो सही, हम बोले तो गलत !

समाज में आचार और विचार का प्रभाव कितना गिर गया है की आप सोच नहीं सकते हैं. हर कोई अपने आप को सबसे अचछा और समझदार मानता है. मुझसे अच्चा इंसान तो इस धरातल पर कोई है ही नहीं. जो मई बोल या कह रहा हूँ वही सब ठीक है. सोलह आने सच है , बाकि जो बोलते हैं या कहते हैं ...वो बेबकूफी है.
इसी तरह का शब्दों का आदान प्रदान हमारे समाज के सबसे सभ्य और समझदार विद्वान समाज से सुनने को मिल रहा है . मैं जब से होश संभाला है. यानि जब से मुझे याद है और मेरी याद्दाश के के मेमोरी में है. लगभग नेताओं और उनके सगे सम्भ्धियों के बोल बिगड़े हैं. हर एक पार्टी में कुछ नेता ही हैं जो अपने शोब्दों को टोल -मोल कर बोलते हैं , बाकि तो चमरे के मुह है , जो निकलता है वो ब्रह्वाक्य है.
मुझे याद है बिहार जाति वाद के आग में झोकने वाले दो नेता , आज कल संत की भाषा समझाने में लगे हैं, हर दुसरे पार्टी के नेता को नसीहत दे रहे हैं. ये गलत है और ये सही. कमाल है . नौ सो चूहे खाकर , बिल्ली चली हज को. ये कुछ हजम नहीं होता है . क्या करें.
पिछले कुछ दिनों से तो ये नेता लोग , एक अनपढ़ और गवार से भी गये गुजरे भाषा का इस्तेमाल करते आ रहे हैं. अगर किसी ने मुझे गाली दी , मेरी बाप को गली दी, मा को गाली दी, मई चुप चुप सहन कर गया . तब कोई हल्ला गुल्ला नहीं मचा, एक दो दिन में सब शांत हो गये . क्यूँ मैं साम्प्रदायिक था , आरएसएस का एजेंट था . जब हमारे कुछ भाई ने कुछ जुमले देकर उदाहरण दिया तो ...***ड में मिर्ची लग गयी है. सिर्फ नेताओं को नहीं , बल्कि सबसे भ्रष्ट विभाग मीडिया यानि प्रत्कारिता करने वाले को भी जलन होने लगी.
भाई मिर्ची ऐसे जगह कैसे लग गयी , मैंने तो ऐसा कुछ किया नहीं .....
कैसे नहीं किया ...आपने गलत जगाह लगाया......
लेकिन आपने जो पहले डंडा दिया था.......तब तो किसी की आवाज नहीं आई थी.....तब तो बड़े हंस रहे थे......अब दर्द हो रहा है तो ...**ट रही हिया....आये .....
कोई कालिख पोतने की बात करता है, अरे भाई. हम थोड़े ही न किसी जानवर का हक़ छीने हैं.....पृष्ठभूमि .......देखना है ....हा हा हा हा .....पहले अपना इतिहास देखो...साहेब.....खुद का पृष्ठभूमि दिखाई देगा....कहा थे ...कहाँ पहुच गये...
नेताओं के कोई धर्म नहीं होता है . न कोई ईमान. जब चाहे वो बेच दे....सिर्फ सिर्फ सिर्फ चाँद पैसों के लिए....
गलती तो हमारी है.....जो इन जैसों को वोट देकर समाज को बाटने का ठेका दे देते हैं......और फिर सर पकड़ का बैठ जाते हैं.
न तो ये सुधरेंगे ...न ये कुछ करेंगे. !!!!!!!!!!!

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