बुधवार

गरीबी तो गरीबी है।

गरीबी तो आखिर गरीबी है
ये गरीबों की मज़बूरी है।

न तो ये हँस सकता है
न तो ये रो सकता है
ये गरीबों की मज़बूरी है।
तन से तो ये नंगा है
मन से गंगा है
साहस का हिमालय है
ममता का ये परिचायक है।
ये गरीबों की मज़बूरी है।

न दिन का ख्याल है
न रात का
कब निबाला मिलेगा
न कोई इसका इन्तजार है
ये गरीबों की मजबूरी है।

पढाई क्या
लिखाई क्या
बीमारी क्या
सबका न ख्याल है।
दो दाना मिल जाए
गले में उतर जाए।
ये गरीबों की मज़बूरी है।

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